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कालरात्रि (Kalratri)

Kalratri

माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति स्वरुप कालरात्रि माता है. नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता की पूजा आराधना की जाती है.

कालरात्रि माता का रूप अत्यंत ही भयानक है. समस्त नकारात्मक शक्तियाँ माता के इस रूप को देखते ही भाग जाती हैं. माता का यह रूप नकारात्मक शक्तियों के लिए विनाशक है. अपने भक्तों के लिए माता का यह रूप अत्यंत ही शुभ और पावन है. कालरात्रि माता को शुभंकारी भी कहा जाता है.

माता अपने भक्तों पर अत्यंत ही दयालु हैं समस्त नकारात्मक शक्तियों से माता अपने भक्तों की रक्षा करतीं हैं.

कालरात्रि माता के शरीर का रंग एक दम काला है. इनकी बालें बिखरी हुईं हैं. इनकी स्वांस से ज्वाला निकलती है. माता के गले में विद्द्युत के सामान चमकने वाली माला है.

माता के तिन नेत्र हैं. इन नेत्रों से विद्दयुत के सामान किरणें निकलती रहतीं हैं. इनका वाहन गदर्भ है. माता की चार भुजा हैं.

कालरात्रि माता से भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है. माता कालरात्रि दुष्टों का विनाश करतीं हैं. इनके स्मरण मात्र से समस्त नकारात्मक शक्तियाँ भाग जातीं है.

जो कोई भी सच्चे ह्रदय से कालरात्रि माता की आराधना और स्तुति करता है, माता की कृपा से उसे भय कभी भी नहीं सताता है. उसके आत्मबल में बृद्धि हो जाती है.

कालरात्रि माता की स्तुति मनुष्य को ग्रह बाधाओं से भी रक्षा करती है. शनि ग्रह पर कालरात्रि माता का प्रभाव है.

Kalratri Mantra (कालरात्रि मंत्र)

Kalratri Mantra

निचे दिए गए कालरात्रि मंत्र माँ कालरात्रि की आराधना का मूल मंत्र है. 108 बार या 1008 बार जाप करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

कालरात्रि प्रार्थना मंत्र

यहाँ दिए गए कालरात्रि प्रार्थना मंत्र के माध्यम से आप सब माँ कालरात्रि से अपने, अपने परिवार, समाज, देश और इस संसार के कल्याण के लिये प्रार्थना करें.

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

Kalratri Stuti Mantra | कालरात्रि स्तुति मंत्र

यहाँ दिया गया माँ कालरात्रि स्तुति मंत्र अत्यंत ही शिद्ध और शक्तिशाली मंत्र है. इस मंत्र के पाठ से साधक को माँ कालरात्रि की परम कृपा की प्राप्ति होती है.

उस साधक के ह्रदय से भय का नाश होता है. उस साधक के आत्मबल में बृद्धि होती है.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कालरात्रि माता ध्यान मंत्र

यहाँ दिए गए मंत्र के पाठ के साथ आप सब माँ कालरात्रि का अपने ह्रदय में ध्यान करें.

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥

दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥

महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

Kalratri Stotra | कालरात्रि स्तोत्र

Kalratri Stotra Mantra

यहाँ दिया गया कालरात्रि माता की आराधना का स्तोत्र अत्यंत ही सिद्ध और शक्तिशाली स्तोत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धा और पवित्रता के साथ इस कालरात्रि स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत ही मंगलकारी होता है.

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

कालरात्रि कवच मंत्र

नकारात्मक शक्तियों और दुर्भाग्य से अगर कोई साधक अपनी रक्षा चाहता है. तो इस कालरात्रि कवच मंत्र का पाठ करना उसके लिये शुभ हो सकता है.

इस कालरात्रि कवच मंत्र के पाठ से साधक की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है.

ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥

रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

कालरात्रि माता की आरती – Kaalratri Mata Ki Aarti

कालरात्रि माता की आरती इस साईट पर पहले से ही प्रकाशित है. ऊपर दिए गए लिंक पर क्लीक करके आप उस पेज पर जा सकतें हैं.

कालरात्रि माता कथा

यहाँ हम कालरात्रि माता कथा का विडियो दे रहें हैं. इस विडियो को आप सब अवश्य देखें.

माँ कालरात्रि के स्वरुप की पूजा नवरात्रि में किस दिन की जाती है?

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि माता के स्वरुप की पूजा की जाती है.

किसी भी तरह के सलाह या अपने विचार आप हमें कमेंट के माध्यम से लिख सकतें हैं.

माँ दुर्गा की परम कृपा आप सब पर बनी रहे. जय माँ दुर्गा.

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    Katyayani Mata – कात्यायनी मंत्र, स्तोत्र और आरती

    Katyayani Mata – कात्यायनी मंत्र, स्तोत्र और आरती ― In this post we will get information about Katyayani Devi. Along with this, Katyayani Mata Mantra, Stotra, and Aarti have also been published in this post.

    कात्यायनी माता ― इस पोस्ट में हम कात्यायनी माता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी प्राप्त करेंगे. इसके साथ हम कात्यायनी माता मंत्र, स्तोत्र और आरती का भी प्रकाशन इस पोस्ट में कर रहें हैं.

    नमस्कार, स्वागत है आप सबका आप सबके अपने वेबसाइट सोनाटुकु डॉट कॉम पर. कात्यायनी माता की सच्चे ह्रदय से आराधना करने से मनुष्य को रोग, शोक, संताप और भय से मुक्ति मिल जाती है.

    सबसे पहले हम कात्यायनी माता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी प्राप्त करेंगे.

    कात्यायनी माता (Katyayani Mata)

    Katyayani Mata

    कात्यायनी माता माँ पार्वती आदिशक्ति दुर्गा की छठी शक्ति स्वरुप है. नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी माता के ही स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती है.

    धार्मिक मान्यता के अनुसार कात्यायनी माता ने महर्षि कात्यायन के यहाँ पुत्री रूप में जन्म लिया था. इस कारण से देवी माता को कात्यायनी माता के नाम से इस जगत में पूजा जाता है.

    कात्यायनी माता ने ही महिषासुर राक्षस का वध किया था.

    ब्रज की गोपियों ने भी यमुना के तट पर कात्यायनी माता की पूजा आराधना की थी. कात्यायनी माता ब्रज क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है.

    कात्यायनी माता सिंह पर सवार रहतीं हैं. माँ कात्यायनी का स्वरुप अत्यंत चमकीला और भास्वर है. माता की चार भुजा है. कात्यायनी माता का दाहिने तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में और निचे वाला हाथ वर मुद्रा में है.

    माँ कात्यायनी के बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और निचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है.

    जो भक्त सच्चे ह्रदय से कात्यायनी माता की आराधना और स्तुति करता है, उसे इस जीवन में ही अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

    समस्त शारीरिक रोगों, कष्टों से माता की कृपा से मुक्ति मिल जाती है. शरीर बलिष्ठ और आत्मबल में बृद्धि हो जाती है.

    कात्यायनी माता का प्रभाव बृहस्पति ग्रह पर माना गया है.

    सोनाटुकु परिवार की तरफ से मैं आप सबको एक जानकारी दे रही हूँ की जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो या जो कन्या माता से अपने लिए सुयोग्य वर माँगना चाहतीं हैं उनके लिए हमने निचे एक मंत्र दिया हुआ है. आप उस मंत्र का पाठ करते हुए माता कात्यायनी की आराधना करें. निश्चित ही शुभ फल की प्राप्ति होगी.

    ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥

    कात्यायनी माता मंत्र (Katyayani Mata Mantra)

    Katyayani Mata Mantra

    निचे दिये गये कात्यायनी माता मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करें. यह कात्यायनी माता का मूल मंत्र है. इस मंत्र के जाप से साधक को माँ कात्यायनी की परम कृपा की प्राप्ति होती है.

    ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

    कात्यायनी माता प्रार्थना मंत्र

    इस कात्यायनी प्रार्थना मंत्र के पाठ के माध्यम से आप सब माँ कात्यायनी से अपने, अपने परिवार, समाज और इस संसार के कल्याण के लिये ह्रदय से प्रार्थना करें.

    चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

    कात्यायनी स्तुति मंत्र (Katyayani Stuti Mantra)

    Katyayani Mantra

    यहाँ नदिए गए स्तुति मंत्र के माध्यम से माँ कात्यायनी की समूर्ण श्रद्धा और बिस्वास के साथ स्तुति करें.

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    कात्यायनी माता ध्यान मंत्र

    माँ कात्यायनी का ह्रदय से ध्यान करें. इस मंत्र का पाठ करें.

    वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

    स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

    पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

    प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
    कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

    Katyayani Stotram | कात्यायनी स्तोत्रम्

    माँ कात्यायनी की आराधना और स्तुति के लिए इस कात्यायनी स्तोत्रम् का पाठ करें.

    कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
    स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥

    पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
    सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

    परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
    परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

    विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
    विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

    कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
    कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥

    कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
    कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥

    कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
    कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

    कात्यायनी माता कवच मंत्र

    इस कवच मंत्र के पाठ से कात्यायनी माता की स्तुति करें. इस कात्यायनी कवच मंत्र के पाठ से मनुष्य की समस्त नकारात्मक शक्तियों और दुर्भाग्य से रक्षा होती है.

    कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
    ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
    कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

    कात्यायनी माता की आरती Katyayani Mata Ki Aarti

    कात्यायनी माता की आरती का प्रकाशन इस साईट पर पहले से किया हुआ है. आप ऊपर दिए गए लिंक पर क्लीक करके कात्यायनी माता की आरती वाले पेज पर जा सकतें हैं.

    कात्यायनी माता की कथा

    यहाँ हम कात्यायनी माता की कथा का विडियो दे रहें हैं. इस विडियो को आप अवश्य देखें और माँ कात्यायनी की आराधना करें.

    कात्यायनी माता को आदिशक्ति पार्वती का कौन सा रूप माना जाता है?

    आदिशक्ति माँ पार्वती के छठे शक्ति स्वरुप को कात्यायनी माता के रूप में इस संसार में पूजा जाता है.

    आप सब अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें.

    माँ दुर्गे की परम कृपा आप सब पर सदा बनी रहे. जय माँ दुर्गा.

    कुछ अन्य प्रकाशन ―

    Shailputri (शैलपुत्री) – Mantra (मंत्र), कवच, स्तोत्र

    Brahmacharini – ब्रह्मचारिणी माता मंत्र संग्रह

    Chandraghanta Mata @चंद्रघंटा माता मंत्र संग्रह

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    Skandmata – स्कंदमाता ― मंत्र, स्तोत्र, विवरण

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    Kalratri – कालरात्रि ― मंत्र, जाप, ध्यान, प्रार्थना, स्तोत्र, कवच

  • Skandmata – स्कंदमाता ―  मंत्र, स्तोत्र, विवरण

    Skandmata – स्कंदमाता ― मंत्र, स्तोत्र, विवरण

    Skandmata – स्कंदमाता ― विवरण, मंत्र, स्तोत्र ― In this post, we are publishing Mantra, Stotra and Aarti for the worship of Skandmata. Along with this, we are also publishing some important religious information about Skandmata.

    स्कंदमाता ― इस पोस्ट में हम स्कंदमाता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी दे रहें हैं. साथ ही हम स्कंदमाता की आराधना और स्तुति के लिए स्कंदमाता मंत्र, स्तोत्र और आरती का प्रकाशन कर रहें हैं.

    इन सबसे आप सबको स्कंदमाता की पूजा आराधना करने में सुविधा होगी.

    नमस्कार, स्वागत है आप सबका आप सबके अपने वेबसाइट dharm.info पर. माँ दुर्गा की पांचवी शक्ति स्वरुप स्कंदमाता की आराधना करना अत्यंत ही मंगलकारी होती है.

    सबसे पहले हम स्कंदमाता के बारे में कुछ धार्मिक जानकारी प्राप्त करतें हैं.

    स्कंदमाता (Skandmata)

    Skandmata

    देवी स्कंदमाता माँ दुर्गा की पांचवी शक्ति स्वरुप है. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती है.

    आप सबको बता दें की कुमार कार्तिकेय को स्कन्द के नाम से जाना जाता है. कार्तिकेय की माता होने के कारण माँ पार्वती, जो की स्वयं आदिशक्ति माँ दुर्गा हैं, के इस रूप को स्कंदमाता के नाम से इस संसार में पूजा जाता है.

    जैसा की आप सबको पता ही है की कार्तिकेय महादेव शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. वे देवताओं के सेनापति भी हैं. भगवान कार्तिकेय को मुरुगन भगवान के नाम से भी पूजा जाता है.

    स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. इनकी दो भुजाओं में कमल पुष्प और एक भुजा वर मुद्रा में हैं. एक भुजा से माता ने बालरूप कार्तिकेय को पकड़ रखा है.

    कुमार कार्तिकेय अपने बाल रूप में स्कंदमाता के गोद में हैं. माँ स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं. इनका रूप पुर्णतः शुभ्र है. देवी स्कंदमाता कमल पर आसीन हैं. इस कारण से माँ स्कंदमाता को पद्मासना भी कहा जाता है.

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ स्कंदमाता का प्रभाव बुद्ध ग्रह पर है. इस कारण से अगर किसी मनुष्य को बुध ग्रह के कारण कोई कष्ट या समस्या हो तो उसे देवी स्कंदमाता की सच्चे ह्रदय से आराधना करनी चाहिए.

    आप सबको बता दें की माँ स्कंदमाता की पूजा आराधना करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होती है. देवी स्कंदमाता की पूजा करने से बालरूप श्री कार्तिकेय भगवान की भी पूजा अपने आप ही हो जाती है.

    देवी स्कंदमाता अत्यंत ही दयालु और अपने बच्चों की रक्षा के लिए सदेव तत्पर रहती हैं. अपने भक्तों की समस्त शुभ इच्छाओं को माता स्कंदमाता पूर्ण करती हैं.

    स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Mantra)

    Skandmata Mantra

    यहाँ दिया गया स्कंदमाता मंत्र माँ स्कंदमाता का मूल मंत्र है. इस मंत्र को एक 108, 1008 बार पाठ करना त्यन्त ही शुभ और मंगलकारी होता है.

    नवरात्रि के पंचमी तिथि को इस मंत्र के पाठ से साधक को अपूर्व आत्मबल की प्राप्ति होती है.

    ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

    स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र

    जब आप सम्पूर्ण श्रध्दा और भक्ति के साथ माँ स्कंदमाता मूल मंत्र का पाठ कर लें तो यहाँ दिए गए स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र के पाठ के माध्यम से माँ स्कंदमाता से अपने और अपने परिवार, समाज, देश और इस धरा के कल्याण के लिये ह्रदय से प्रार्थना करें.

    सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

    स्कंदमाता स्तुति मंत्र

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    उसके पश्चात स्कंदमाता स्तुति मंत्र के माध्यम से माँ स्कंदमाता की ह्रदय से स्तुति करें.

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    स्कंदमाता ध्यान मंत्र

    माँ स्कंदमाता का ह्रदय में ध्यान करने के लिये यहाँ दिए गए स्कंदमाता ध्यान मंत्र का सम्पूर्ण श्रद्धा और बिस्वास के साथ पाठ करें.

    वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥

    धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥

    पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥

    प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
    कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

    स्कंदमाता स्तोत्र (Skandmata Stotra)

    माँ स्कंदमाता की आराधना का यह स्तोत्र अत्यंत ही सिद्ध और शक्तिशाली स्तोत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धा और बिस्वास के साथ इस स्कंदमाता स्तोत्र का पाठ करें.


    नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
    समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥

    शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
    ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥

    महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
    सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥

    अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
    मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥

    नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
    सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥

    सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
    शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्

    तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
    सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥

    सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
    प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥

    स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
    अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥

    पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
    जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥

    देवी स्कंदमाता कवच (Skandmata Kavach)

    समस्त नकारात्मक शक्ति और दुर्भाग्य से बचाने वाला यह स्कंदमाता कवच मंत्र यहाँ हमने दिया हुआ है. इस कवच मंत्र का सम्पूर्ण बिस्वास के साथ पाठ करें.

    ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
    हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥

    श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
    सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥

    वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
    उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥

    इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
    सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

    स्कंदमाता की आरती | Skandmata Ki Aarti

    माँ स्कंदमाता की आरती का प्रकाशन हमने इस पोस्ट पर पहले से किया हुआ है. उस पोस्ट पे जाकर आप स्कंदमाता की आरती को देख सकतें हैं.

    स्कंदमाता की कथा

    यहाँ हमने स्कंदमाता कथा का विडियो दिया हुआ है. आप इस विडियो के माध्यम से स्कंदमाता की कथा अवश्य सुने.

    स्कंदमाता देवी पार्वती के कौन से रूप को कहा जाता है?

    देवी आदिशक्ति पार्वती के पांचवे रूप को स्कंदमाता कहा जाता है. भगवान कार्तिकेय को स्कन्द में नाम से भी जाना जाता है. देवताओं के सेनापति भगवान श्री स्कन्द की माता होने के कारण माँ पार्वती के इस रूप को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है.

    आज के इस पोस्ट में इतना ही. आप सबको यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में अवस्य लिखें. साथ ही इस साईट के किसी भी पोस्ट में अगर किसी भी प्रकार के सुधार की आवश्यकता हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में अवस्य लिखें. हमारी टीम के द्वारा उसे अवस्य देखा जाएगा और आवश्यकता के अनुसार जरुरी सुधार किया जायेगा.

    माँ दुर्गा की पावन कृपा आप सब पर बनी रहें. जय माँ दुर्गा.

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    Kushmanda Devi – कुष्मांडा देवी मंत्र संग्रह

    Kushmanda Deviकुष्मांडा देवी – नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा माता की स्तुति के लिए इस पोस्ट में कई कुष्मांडा माता मंत्र का प्रकाशन किया गया है. इन मन्त्रों के माध्यम से कुष्मांडा माता की आराधना और स्तुति करें.

    माँ पार्वती के कई रूपों में से एक है कुष्मांडा माता. नवरात्रि में चतुर्थी तिथि को इनकी पूजा आराधना की जाती है.

    इस अंक में हम कुष्मांडा देवी की पूजा आराधना से संबंद्धित मंत्रों, स्तुति, स्तोत्र आदि प्रकाशित कर रहें हैं.

    कुष्मांडा देवी (Kushmanda Devi)

    Kushmanda Devi

    कुष्मांडा देवी आदिशक्ति माँ पार्वती की चौथी शक्ति रूप है. जब श्रृष्टि का स्वरुप नहीं था तो कुष्मांडा माता के द्वारा ही इस ब्रहमांड की रचना की गयी थी.

    देवी कुष्मांडा ही इस श्रृष्टि की आदि स्वरुप और आदि शक्ति हैं.

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुष्मांडा देवी सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं. नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा माता के ही स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती है.

    कुष्मांडा देवी की कांति और तेज सूर्य के समान है. इस संसार के समस्त प्राणियों में जो तेज है वो माता कुष्मांडा के प्रभाव के कारण ही हैं.

    माँ कुष्मांडा के तेज से यह संसार और दसों दिशाएँ प्रकाशमान है. कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं. इस कारण से माता कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है.

    कुष्मांडा देवी का वाहन सिंह है.

    सुगमता से प्रसन्न होने वाली कुष्मांडा देवी अत्यंत ही दयालु हैं. अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न हो जाती है. और अपनी कृपा अपने बच्चों पर बरसाती हैं माँ कुष्मांडा.

    माता की कृपा से मनुष्य को समस्त रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है. आयु, निरोगी काया, यश, बल माता कुष्मांडा की कृपा से प्राप्त होतीं हैं.

    देवी कुष्मांडा की जय जयकार करें और चलें अब हम सब कुष्मांडा माता के कुछ मंत्रों और स्तोत्र का पाठ करतें हैं.

    Kushmanda Mantra | कुष्मांडा मंत्र

    Kushmanda Mantra

    यहाँ दिया गया कुष्मांडा मंत्र मूल मंत्र है. एक माला अर्थात 108 बार इस मूल मंत्र का जाप अत्यंत ही शुभ फलदायक है.

    ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

    कुष्मांडा देवी प्रार्थना मंत्र

    मूल मंत्र के जाप के पश्चात आप अपनी, अपने परिवार,समाज, देश और इस श्रृष्टि के कल्याण के लिये निम्नलिखित मंत्रो का पाठ करते हुए कल्याण की प्रार्थना करें.

    सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
    दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

    Kushmanda Devi Stuti Mantra | कुष्मांडा देवी स्तुति मंत्र

    निम्नलिखित मंत्रों के पाठ के साथ कुष्मांडा देवी की स्तुति करें.

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    कुष्मांडा देवी ध्यान मंत्र

    कुष्मांडा देवी का ध्यान करें और निम्नलिखित मंत्रों का पाठ करें.

    वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

    भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

    पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

    प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
    कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

    Kushmanda Kavach – कुष्मांडा माता कवच

    Kushmanda

    यह एक सिद्ध कवच मंत्र है. कुष्मांडा कवच मंत्र के पाठ से मनुष्य की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है.

    साथ ही सूर्य के विपरीत स्थिति में होने के कारण अगर मनुष्य को कोई बाधा आ रही हो तो इस कुष्मांडा कवच के पाठ से उसकी रक्षा होती है.

    हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
    हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
    कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,
    पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
    दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

    Kushmanda Devi Stotra | कुष्मांडा स्तोत्रम्

    कुष्मांडा स्तोत्र का पाठ हमेशा ही शुभ फलदायक होता है. नवरात्रि में इस कुष्मांडा स्तोत्र के पाठ से चारों और सकारात्मक उर्जा प्रवाहित होने लगती है.

    दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
    जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

    जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
    चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

    त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
    परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

    जिन लोगों को सूर्य देव के ग्रह दोष के कारण कोई कष्ट हो रहा हो उन्हें कुष्मांडा माता की स्तुति करनी चाहिए और उनके मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे उनकी ग्रह दशा ठीक होकर जीवन में सुख और शान्ति का आगमन होगा.

    कुष्मांडा देवी से संबंद्धित जानकारी

    नवरात्रि दिवसचतुर्थी
    प्रभाव ग्रहसूर्य
    पुष्पलाल रंग के
    मंत्रॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
    नवरात्रि में किस तिथि को कुष्मांडा देवी की पूजा अर्चना की जाती है?

    कुष्मांडा देवी की पूजा अर्चना नवरात्रि में चौथे दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को की जाती है.

    कुष्मांडा देवी का निवास कहाँ माना गया है?

    सूर्य मंडल के मध्य में कुष्मांडा देवी का निवास माना गया है.

    कुष्मांडा देवी की कितनी भुजाएं हैं?

    कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं. इस कारण से इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है.

    कुष्मांडा देवी की कथा

    यहाँ हम कुष्मांडा देवी की कथा का विडियो दे रहें हैं. इस विडियो को आप यहीं देख सकतें हैं.

    आशा है की हमारा यह प्रकाशन आप सभी को अच्छा लगा होगा. आप अपने अनमोल विचार हमें कमेंट में अवश्य लिखें.

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    Skandmata – स्कंदमाता ― मंत्र, स्तोत्र, विवरण

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    Kalratri – कालरात्रि ― मंत्र, जाप, ध्यान, प्रार्थना, स्तोत्र, कवच

  • Chandraghanta Mata @चंद्रघंटा माता मंत्र संग्रह

    Chandraghanta Mata @चंद्रघंटा माता मंत्र संग्रह

    Chandraghanta Mata (चंद्रघंटा माता) – इस अंक में हम आप सब माँ दुर्गा के भक्तों के लिये नवरात्रि तीसरे दिन की पूजा से संबंद्धित चंद्रघंटा माता मंत्र (Chandraghanta Mata Mantra) का संग्रह लाये हैं.

    इन मंत्रों की सहायता से आप सब माँ दुर्गा के तृतीय स्वरुप माँ चंद्रघंटा की आराधना और स्तुति कर पाएंगे.

    चंद्रघंटा माता नवदुर्गा में तीसरी शक्ति मानी जाती है.

    माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचन्द्र है, इस कारण से माता को चंद्रघंटा कहा जाता है.

    चंद्रघंटा माता का रूप अत्यंत ही शुभ, शांतिदायक और कल्याणकारी है. परम दयालु माता अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करती है.

    चंद्रघंटा माता का शरीर स्वर्ण के समान देदीप्यमान है. माता के दस हाथ हैं. माँ सिंह की सवारी करतीं हैं.

    परम दयालु भक्तवत्सल माता चंद्रघंटा की आराधना और स्तुति करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होती है.

    Chandraghanta Mata Mantra (चंद्रघंटा माता मंत्र)

    Chandraghanta Mata

    यहाँ दिया गया मंत्र चंद्रघंटा माता का मूल मंत्र है. इस चंद्रघंटा माता मूल मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करना अत्यंत ही मंगलकारी माना गया है.

    ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

    स्तुति मंत्र (Stuti Mantra)

    मूल मंत्र के श्रद्धापूर्वक जाप के पश्चात आप सब निम्नलिखित माँ चंद्रघंटा स्तुति मंत्र (Maa Chandraghanta Stuti) के माध्यम से चंद्रघंटा की स्तुति करें.

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    प्रार्थना मंत्र (Prarthana Mantra)

    यहाँ दिए गए चंद्रघंटा माता प्रार्थना मंत्र के माध्यम से अपनी, अपने सगे सम्बंद्धियो, समाज, देश और इस संसार के कल्याण के लिये माँ चंद्रघंटा से प्रार्थना करें.

    पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

    Chandraghanta Mata Dhyan Mantra (चंद्रघंटा माता ध्यान मंत्र)

    माँ चंद्रघंटा का हृदय में ध्यान करने के लिये आप निम्नलिखित चंद्रघंटा माता ध्यान मंत्र का पाठ करें. चंद्रघंटा माता का ध्यान करते समय अपना सम्पूर्ण ध्यान सांसारिक तत्वों से दूर करके सिर्फ और सिर्फ माता के चरणों में ही लगायें.

    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥

    मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

    पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

    प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
    कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

    चंद्रघंटा माता कवच मंत्र (Chandraghanta Mata Kavach Mantra)

    Maa Chandraghanta

    निम्नलिखित चंद्रघंटा माता कवच मंत्र (Chandraghanta Mata Kavach Mantra) एक अत्यंत ही सिद्ध कवच मंत्र है. नकारात्मक शक्तियों, अनिष्ट की आशंका आदि से रक्षा के लिये आप सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ चंद्रघंटा कवच मंत्र का पाठ करें.

    साथ ही माँ चंद्रघंटा का पूर्ण प्रभाव शुक्र ग्रह पर है. इस कारण से अगर कोई साधक शुक्र ग्रह के दोष के कारण दुर्भाग्य का सामना कर रहा है तो इस कवच मंत्र के पाठ से उस पर माँ चंद्रघंटा की कृपा होती है. और उस साधक की रक्षा होती है.

    रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
    श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥

    बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।
    स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥

    कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।
    न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥

    चंद्रघंटा माता स्तोत्र (Chadnraghanta Stotra)

    यहाँ हमने चंद्रघंटा माता स्तोत्र (Chadnraghanta Stotra) दिया हुआ है. सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करके माँ चंद्रघंटा की आराधना करें.

    आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
    अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

    चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
    धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

    नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
    सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

    सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ चंद्रघंटा की आराधना और स्तुति के बाद माँ चंद्रघंटा की आरती अवश्य करें.

    चंद्रघंटा माता (Goddess Chandraghanta)

    Goddess Chandraghanta

    माँ चंद्रघंटा देवी पारवती का ही स्वरुप है. मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करने के कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है.

    नवरात्रि में तीसरे दिन अर्थात तृतीया तिथि को माँ चंद्रघंटा की पूजा आरधना की जाती है.

    चंद्रघंटा माता ने भगवान शिव को पति रूप में वरण किया.

    शुक्र ग्रह पर माता चंद्रघंटा का प्रभाव है.

    इनकी दस भुजाएं है. इनका प्रिय पुष्प चमेली है.

    नवरात्रि दिवसतृतीया
    प्रभाव ग्रहशुक्र
    पुष्पचमेली
    मंत्रॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
    चंद्रघंटा माता की पूजा नवरात्रि में किस दिन की जाती है?

    नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की पूजा की जाती है.

    माँ चंद्रघंटा किस देवी का स्वरुप है?

    माँ चंद्रघंटा देवी पार्वती का स्वरुप है.

    चंद्रघंटा माता की कथा

    यहाँ हम चंद्रघंटा माता की कथा को लिखित रूप की वजय विडियो में दे रहें हैं. इस विडियो को आप यही देख सकतें हैं.

    आशा है की आप इस प्रकाशन से संतुष्ट हुए होंगे. किसी भी प्रकार के सुधार के लिये आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखें.

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  • Brahmacharini – ब्रह्मचारिणी माता मंत्र संग्रह

    Brahmacharini – ब्रह्मचारिणी माता मंत्र संग्रह

    Brahmacharini Mata (ब्रह्मचारिणी माता) – इस अंक में हमने ब्रह्मचारिणी माता से संबंद्धित संक्षिप्त विवरण के साथ-साथ ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के लिये ब्रह्मचारिणी माता स्तुति मंत्र (Brahmacharini Mata Stuti Mantra),प्रार्थना मंत्र, ध्यान मंत्र, कवच मंत्र और स्तोत्र का प्रकाशन किया है.

    नवरात्रि के दुसरे दिन अर्थात द्वितीया तिथि को माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरुप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आराधना की जाती है.

    Brahmacharini Mata (ब्रह्मचारिणी माता)

    Brahmacharini Mata

    नवरात्रि के दुसरे दिन यानी द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी माता भी आदिशक्ति माँ पार्वती का ही एक रूप है.

    ब्रह्मचारिणी माता के नामकरण से संबंद्धित बात करें तो ब्रह्म शब्द का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी शब्द का अर्थ होता है, आचरण करने वाली, इस तरह से ब्रह्मचारिणी माता का शाब्दिक अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.

    अथक तप के फलस्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी ने महादेव शिव को पति रूप में वरण किया था.

    माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है.

    ग्रह गोचर से संबंद्धित चर्चा की जाए तो ब्रह्मचारिणी माता का मूल प्रभाव मंगल ग्रह पर है. इस कारण जिस मनुष्य को मंगल ग्रह की विपरीत स्थिति के कारण कष्ट सहना पड़ रहा हो तो तो उस मनुष्य को विशेष रूप से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आराधना करनी चाहिए.

    Brahmacharini Mata Mantra (ब्रह्मचारिणी माता मंत्र)

    Brahmacharini Mata

    यह ब्रह्मचारिणी माता का मूल मंत्र है. 108 बार अर्थात एक माला या 1008 बार इस मंत्र का जाप अत्यंत ही शुभ फलदायक माना गया है.

    जैसा की हमने ऊपर बताया हुआ है की मंगल ग्रह की विपरीत स्तिथि वाले मनुष्य को ब्रह्मचारिणी माता की आराधना विशेष रूप से करनी चाहिए.

    ब्रह्मचारिणी माता का यह मंत्र उन लोगों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है.

    स्तुति मंत्र (Stuti Mantra)

    यहाँ हमने ब्रह्मचारिणी माता की स्तुति के लिये विशेष स्तुति मंत्र दिया हुआ है. मूल मंत्र के जाप के उपरान्त इस स्तुति मंत्र के पाठ के माध्यम से आप माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरुप ब्रह्मचारिणी माता की स्तुति करें.

    प्रार्थना मंत्र (Prarthana Mantra)

    ब्रह्मचारिणी माता की ह्रदय से स्तुति करने के पश्चात आप इस दिए गए ब्रह्मचारिणी माता प्रार्थना मंत्र के माध्यम से अपनी, अपने परिवार, सगे संबंद्धि, समाज, राज्य, देश और इस धरा के साथ-साथ इस ब्रह्माण्ड के कल्याण के लिये ब्रह्मचारिणी माता से प्रार्थना करें.

    दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
    देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

    ध्यान मंत्र (Dhyan Mantra)

    माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करना इस पूजा का सबसे [प्रमुख भाग होता है. ह्रदय में माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए आप निम्नलिखित मंत्र का पाठ करें.

    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

    गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥

    परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
    पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

    Brahmacharini Mata Kavach Mantra (ब्रह्मचारिणी माता कवच मंत्र)

    सम्पूर्ण आसुरी शक्तियों, नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने की शक्ति इस ब्रह्मचारिणी माता कवच मंत्र में है.

    इस कवच मंत्र का पाठ सच्चे ह्रदय से और पवित्र भाव से करें.

    त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
    अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
    पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
    षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
    अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

    Brahmacharini Mata Stotra (ब्रह्मचारिणी माता स्तोत्र)

    Brahmacharni

    निम्नलिखित स्तोत्र के पाठ के माध्यम से आप ब्रह्मचारिणी माता की स्तुति गान करें. यह एक सिद्ध स्तोत्र है. इस स्तोत्र के पाठ का फल अत्यंत ही सकारात्मक होता है.

    तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
    ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

    शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
    शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

    सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना करने के पश्चात आप सब माँ ब्रह्मचारिणी की आरती अवश्य करें.

    ब्रह्मचारिणी माता की कथा

    पोस्ट के अधिक विस्तृत होने के कारण हमने यहाँ ब्रह्मचारिणी माता की कथा को लिखित रूप में नही दिया है.

    आप निचे दिए गए विडियो को देख सकतें हैं.

    ब्रह्मचारिणी माता को किस देवी का स्वरुप माना जाता है?

    माँ ब्रह्मचारिणी को आदीशक्ति माँ पार्वती का रूप माना जाता है.

    नवरात्रि के किस तिथि को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आराधना की जाती है?

    नवरात्रि के दुसरे दिन अर्थात द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा आराधना की जाती है.

    आप सबसे निवेदन है की कृप्या अपने अनमोल विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें.

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    Shailputri Mata Mantra – माँ दुर्गा के प्रथम स्वरुप शैलपुत्री माता की पूजा आराधना से संबंद्धित सम्पूर्ण शैलपुत्री माता मंत्र, कवच, स्तोत्र और आरती का संग्रह हमने इस पोस्ट में प्रकाशित किया है.

    आप इस प्रकाशन के माध्यम से शैलपुत्री माता की सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक आराधना और स्तुति कर पायेंगे.

    सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ माँ शैलपुत्री की आराधना और स्तुति अगर आप करतें हैं तो आप अवश्य ही शैलपुत्री माता की कृपा के पात्र होंगे.

    स्वागत कर रहें है आप सभी का dharm.info साईट पर.

    Goddess Shailputri

    Shailputri Mata Mantra शैलपुत्री माता मंत्र

    यह शैलपुत्री माता का मूल मंत्र है. आप 108 बार इस मंत्र का जाप करें.

    शैलपुत्री माता की स्तुति से संबंद्धित अन्य मंत्र आदि हमने आगे इस पोस्ट में दिए हैं. सबसे पहले हम माँ दुर्गा के प्रथम स्वरुप शैलपुत्री माता से संबंद्धित कुछ जानकारी प्राप्त कर लेतें हैं.

    शैलपुत्री माता (Shailputri Mata) – माँ दुर्गा की प्रथम स्वरुप

    जैसा की आप सभी भक्तजनों को ज्ञात है की नवरात्रि में हम सब दुर्गा माता के नौ रूपों की आराधना और स्तुति करतें हैं. माँ दुर्गा के इन नौ रूपों में शैलपुत्री माता प्रथम स्वरुप है.

    नवरात्रि के प्रथम दिवस हम सब शैलपुत्री माता की ही पूजा आराधना करतें हैं.

    शैलपुत्री माता का जन्म पर्वतराज हिमालय के यहाँ हुआ था. इस कारण से माता के इस स्वरुप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. शैलपुत्री माता को पार्वती और हैमवती नाम से भी जाना जाता है.

    पूर्व के रूपों में माँ दुर्गा ने सती के रूप में दक्ष प्रजापति के यहाँ जन्म लिया था. और कठोर तपस्या के फलस्वरूप भगवान शिव की पति रूप में पाया था.

    सती से संबंद्धित कथा का आप सब को भली भांति ज्ञान होगा. यहाँ हम संक्षेप में उस कथा का विवरण दे रहें हैं.

    दक्ष प्रजापति के द्वारा एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया. उस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया. सती अपने पिता के यहाँ विशाल यज्ञ होने की जानकारी पर बिना आमन्त्रण उस यज्ञ में सम्मिल्लित होने जाती है.

    उस यज्ञ में दक्ष प्रजापति के द्वारा भगवान शिव के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाता है. माता सती को यह सहन नहीं होता है और वो यज्ञ की अग्नि में खुद को समर्पित कर देती है.

    बाद में सती पर्वतराज हिमालय के यहाँ शैलपुत्री रूप में जन्म लिया. शैलपुत्री रूप में भी उन्होंने महादेव शिव से ही विवाह किया.

    शैलपुत्री माता वृषभ पर सवार रहतीं हैं. इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है. शैलपुत्री माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित रहती है.

    अब हम माँ शैलपुत्री माता की आराधनाऔर स्तुति आरम्भ करतें हैं.

    स्तुति मंत्र

    Shailputri Mata Mantra

    आशा है की आपने ऊपर दिए गए मूल मंत्र का 108 बार जाप कर लिया होगा.

    इसके पश्चात आप निचे दिए गए शैलपुत्री माता स्तुति मंत्र (Shailputri Mata Stuti Mantra) के माध्यम से शैलपुत्री माता की स्तुति करें.

    या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    प्रार्थना मंत्र

    उसके पश्चात आप सब अपने हाथों को प्रणाम की मुद्रा में जोड़कर शैलपुत्री माता से अपनी, अपने परिवार और इस संसार के कल्याण के लिये प्रार्थना करें.

    शैलपुत्री माता प्रार्थना मंत्र (Shailputri Mata Prarthna Mantra) का सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ पाठ करें.

    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

    ध्यान मंत्र

    शैलपुत्री माता का निचे दिए गए शैलपुत्री माता ध्यान मंत्र (Shailputri Mata Dhyan Mantra) का पाठ करते हुए हृदय में ध्यान करें.

    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

    पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
    पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥

    प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
    कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥

    Shailputri Mata Kavach Mantra शैलपुत्री माता कवच मंत्र

    शैलपुत्री माता कवच मंत्र अत्यंत ही शक्तिशाली मंत्र है. इस मंत्र का प्रभाव अत्यंत ही व्यापक है. सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस मंत्र का [पाठ करें.

    ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
    हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥

    श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
    हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
    फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

    Shailputri Mata Stotra शैलपुत्री माता स्तोत्र

    Shailputri

    यहाँ हमने शैलपुत्री माता की स्तुति के लिये शैलपुत्री स्तोत्र दिया हुआ है. इस स्तोत्र के पाठ के माध्यम से आप सब शैलपुत्री माता की आराधना करें.

    प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
    धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

    त्रिलोकजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
    सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

    चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
    मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

    हमारा आप सभी जानो से निवेदन है की आप निचे दिए गए प्रकाशन पर जाएँ और शैलपुत्री माता की आरती करें.

    शैलपुत्री माता की कथा

    यहाँ हमने शैलपुत्री माता की कथा का विडियो दिया हुआ है. आप इसे यहीं देख सकतें हैं.

    विडियो क्रेडिट – YouTube

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